मेरी मोहब्बत में कमी नहीं
बस उनके नखरे थोड़े जादा थे
कभी कभी सोचता हु
वो बस मिल जाए एक बार
उसके गले लग कर जी भर के रो लू
अब बस खत्म करो सब कुछ और रहम करो मुझ पर,
कही बहुत दूर चले जाओ मेरी नजरो से
कहीं मैं शायर ना बन जाऊं।
न ख़ुशी मिलती हैं न मौत मिलती हैं
मोहब्बत के सफ़र में बस बेबसी मिलती हैं
तोड़ देता हैं क्यों कोई अपना
जब भी थोड़ी ख़ुशी मिलती हैं
तुम्हारी बाते और
तुम बहुत याद आती हो
क्या कहू तुम्हे मैं बेवफा
इस बेगुनाह को तुम कितना सताती हो

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कभी मिलना हुआ तो जान जाओगे
हम वैसे नहीं जैसे बताये जाते है
आज वो हो गयी किसी और की
भुला के सभी वादों को
उसको लगता है मुझको दर्द नहीं होता
खेर बात को क्या बढ़ाना नहीं होता तो नहीं होता

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गमो का भार अब और उठाया नहीं जाता
खामोश रहने लगा हु
दर्द किसी और को सुनाया नहीं जाता
देख तेरे जाने के बाद
धीरे धीरे मरने लगे हम
तुमने किया न याद कभी भूलकर हमें
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया